
मैं तुझ सी बन जाऊँ कैसे?
मेरा मन नदी की धारा
पारे की भाँति डाँवाडोल,
तू है स्थिरता की मूरत
मैं पत्थर बन जाऊँ कैसे ?
हे देव बता दे आज मुझे
मैं --------------------?
दुःख से घिरा हुआ आकाश
कहती थी माँ देखा है
मंदिर में तेरे घी जला
मैं दीपक बन जाऊँ कैसे ?
मैं --------------------?
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