न मैं कोई कवि हूँ,
न मैं कोई रवि हूँ
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न लिखे दोहे कबीर के
न लिखे दोहे रहीम के,
न तुलसी की चौपाईयाँ
न बच्चन की रुबाईयाँ,
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न महादेवी के गीत हैं
न मीरा का संगीत है,
न दर्शन है प्रसाद का
न राष्ट्रप्रेम चौहान का ,
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न पद हैं रविदास के
न सवैये हैं रसखान के,
न ही प्रेम है जायसी का
न ही वात्सल्य सूर का ,
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न रीति है न भक्ति
न निर्गुण सगुण शक्ति,
न श्रृंगारिकता देव की
न राष्ट्रीयता भूषण की,
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न मैं कोई रवि हूँ
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न लिखे दोहे कबीर के
न लिखे दोहे रहीम के,
न तुलसी की चौपाईयाँ
न बच्चन की रुबाईयाँ,
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न महादेवी के गीत हैं
न मीरा का संगीत है,
न दर्शन है प्रसाद का
न राष्ट्रप्रेम चौहान का ,
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न पद हैं रविदास के
न सवैये हैं रसखान के,
न ही प्रेम है जायसी का
न ही वात्सल्य सूर का ,
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
न रीति है न भक्ति
न निर्गुण सगुण शक्ति,
न श्रृंगारिकता देव की
न राष्ट्रीयता भूषण की,
लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।
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