Saturday, 8 October 2016

न मैं कोई कवि हूँ

न मैं कोई कवि हूँ,
   न  मैं कोई रवि हूँ
      लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।


न लिखे दोहे कबीर के
   न लिखे दोहे रहीम के,
      न तुलसी की चौपाईयाँ
         न बच्चन की रुबाईयाँ,
            लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।

न महादेवी के गीत हैं
   न मीरा का संगीत है,
      न दर्शन है प्रसाद का
         न राष्ट्रप्रेम चौहान का ,
            लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।

न पद हैं रविदास के
   न सवैये हैं रसखान के,
      न ही प्रेम है जायसी का
         न ही वात्सल्य सूर का ,
            लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।

न रीति है न भक्ति
   न निर्गुण सगुण शक्ति,
      न श्रृंगारिकता देव की
         न राष्ट्रीयता भूषण की,
            लेकिन फिर भी लिखे जाता हूँ।                  

 


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