सबके सपनों का संसार जिसे मैं भूल रहा हूँ।।
संस्कारों ने भारत की पक्की नींव बनाई है ,
गुरु नानक व राम कृष्ण ने शिला बनाई है।
वेद, कुरान, गीता ने राह सही दिखाई है,
तभी तो जाकर चिड़िया भी सोने की कहाई है।
आज क्यों भटकी भारत की वो ऊंची संतान
जिसे मैं भूल रहा हूँ...
अंग्रेजों से लड़के हमने आज़ादी पाई है,
भारत माँ ने बेटों की अर्थी उठाई है।
वीरों ने सरहद्दों पर अपनी जान गवाई है,
बापू गांधी ने भी गोली सीने पर खाई है।
आज के नेता फिर क्यों मिलकर लेते उसकी जान
जिसे मैं भूल रहा हूँ....
बहु- भाषी होकर भी हमने उदहारण बनाये है।
कश्मीर से लेकर कन्या तक था एक ही भारत राज,
विंध्या हिमाचल यमुना से था महका सब परिवार।
आज गुटों में बांटा जाये लेकर अलगाव
जिसे मैं भूल रहा हूँ.....
एक चिंगारी बीच सुलगती किसने भड़काई है?
इतिहास गवाह है पन्ने पलटो भारत इक चट्टान
आ जाये गर भीतर दुश्मन दे देगा बलिदान।
अभी वक़्त है जग जाओ न फिर से हों गुलाम
जिसे मैं भूल रहा हूँ.....
जिसे मैं भूल रहा हूँ.....
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