मैं नारी हूँ मैं धरा हूँ
मैं सर्व ग्रहणकारिणी,
मैं पुत्री हूँ मैं बहिन हूँ
मैं मातृ हितकारिणी।
देवी हूँ मैं गौरी सी भी
काली सी चण्डालिका भी,
दृढ़ता भीतर इतनी मुझमें
होगी न अट्टालिका भी।
है पुरषत्व तुझमें इतना
स्त्री का सम्मान कर,
विध्वंस प्रवृति छोड़कर
सृष्टि का निर्माण कर।
पृथ्वी और आकाश दोयम
प्रकृति का आधार हैं ,
लक्ष्मी सी कन्या में
सम्पन्नता विद्यमान है।
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